कटनी (28 जुलाई )- ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा जल का संचयन एवं पुनर्भरण वाटर शेड को एक इकाई के रूप में लेकर करते हैं ,आमतौर पर सतही फैलाव की तकनीक अपनाई जाती है, क्योंकि ऐसी प्रणाली के लिए जगह प्रचुरता में उपलब्ध होती है तथा पुनर्भरण जल की मात्रा भी अधिक होती है। ढलान नदियों व नालों के माध्यम से व्यर्थ जा रहे जल को बचाने के लिए श्री जाटव वैज्ञानिक द्वारा परिचर्चा में दी गई तकनीकों को आत्मसात करते हुए सुने, सीखें ,समझें और फील्ड में इसका उपयोग करें। मन में उत्पन्न जिज्ञासाओं को प्रश्नों के माध्यम से शांत करें । इस आशय के निर्देश सीईओ जिला पंचायत जगदीश चंद्र गोमे ने गुरुवार को जिला पंचायत सभागार में आयोजित भूमि जल संसाधन के संवर्धन के लिए आयोजित जनसंवाद के दौरान उपस्थित तकनीकी अधिकारियों को दिए। सीईओ जिला पंचायत श्री गोमे की अध्यक्षता में आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में जल संवर्धन एवं संरक्षण के संबंध में वैज्ञानिक नरेश कुमार जाटव द्वारा उपस्थित अधिकारियों एवं ग्रामीण जनों को पीपीटी के माध्यम से भूमि जल पुनर्भरण की तकनीकों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। श्री जाटव ने जनसंवाद के दौरान उत्पन्न जिज्ञासाओं का समाधान किया । उन्होंने बारिश के जल के भंडारण की आवश्यकता, लाभ, अभिकल्प विचार, क्रियाशील क्षेत्र, भूमि जल पुनर्भरण करने की तकनीको को ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लिए प्रथक से जानकारी प्रदान की। सीईओ जिला पंचायत श्री गोमे ने कहा की जल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु जिले के सभी विकास खंडों में पुष्कर धरोहर एवं अमृत सरोवर के अंतर्गत जल संरचनाओं का निर्माण कराया जा रहा है। सभी तकनीकी अधिकारी कल प्रातः से ही निर्माणाधीन स्थलों का भ्रमण करते हुए पर्याप्त जल भराव हेतु आवश्यक सुधार करते हुए शीघ्र कार्य पूर्ण कराएं। उन्होंने कहा कि उपस्थित सभी विभागीय अधिकारी एवं मैदानी कर्मचारी कार्य स्थलों पर प्रगतिरत कार्यों का निरीक्षण करते हुए प्रगति से अवगत कराएंगे। इस दौरान सीईओ जिला पंचायत में अनुपस्थित विभाग के अधिकारियों को शोकॉज जारी करने के निर्देश प्रदान किए। जनसंवाद परिचर्चा कार्यक्रम में सहायक परियोजना अधिकारी उदय राज सिंह, परियोजना अधिकारी वाटर शेड सूरज शर्मा, कार्यपालन यंत्री लाजरूस केरकेट्टा, अन्य अधिकारी एवं सचिव और रोजगार सहायक तथा ग्रामीण जन उपस्थित रहे।