तिरंगा हम भी फहराना चाहते हैं। लेकिन प्रश्न यह है कि हम इसे कहां फहरायें। हम तो दशको से सड़क किनारे बसेरा बनाकर रह रहे हैं। वह ठिकाना कब तक रहेगा यू ही रहेगा हमें भी नही पता। अब तो उसमें भी डर लगने लगा हैं। लगे भी क्यो नहीं। हाईवे किनारे रहते हैं। जिसे बैरिया से बलिया जाने वाली गाड़ी रौदते हुए चली जाती हैं।
अब तो बच्चे भी पूछने लगे हैं कि हम लोग कब तक सड़क किनारे रहेंगे । बचपन यही गुजरेगा? हम लोग खेल नही सकते, स्कूल नही जा सकते। यह सब सुनकर मन बहुत दुखी होता हैं। सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री आते है। वादा करके चले जाते हैं।
विधायक, संसद आते हैं और एक दूसरे पर आरोप लगाते है। पूर्व की सरकार के मुखिया आये। सभी से मिले। बड़ी घोषणाएं की। आश्वासन दिये कि बहुत जल्द आशियाना मिलेगा और किस्मत चमकेगी। किस्मत तो नही बदली , हां सरकार जरूर बदल गयी।
यह समस्या बलिया जिले का दुबेछपरा बांध NHI 31 के सड़क किनारे बसे लोगो की हैं। उनका मकान नदी के कटान में बह चुका हैं। NHI 31 के किनारे बांध पर घास फूस के झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं।
वर्तमान सरकार के मुखिया पिछले साल क्षेत्र के दौरे पर आए थे और पीड़ित परिवारो से मिले भी थे। आश्वासन देकर चले गये थे। लेकिन तब से अब तक हुआ कुछ नही। अब तो पीड़ितों को आश्वासन की आदत सी बन गयी है।
कटान पीड़ित अभी भी उम्मीद लगाये हैं कि तिरंगा हम भी फहरायेंगे। लेकिन कहां? घर तो है नहीं।
लेखक
सुरेन्द्र मौर्य
छात्र- छत्रपति शाहू जी महाराज विश्विद्यालय कानपुर