Katni News:मांगी नाव ना केवट आना-परम श्रद्धेय नरेंद्र रामदास जी महाराज

कटनी।। गोपाल नगर दुबे कालोनी में चल रही श्री रामकथा में व्यासजी महाराज श्री नरेन्द्र रामदास जी महाराज (शास्त्री) ने अपने अमृत वचनों से भगवान श्रीराम के विवाहोंपरात अयोध्या लौटने उनके स्वागत और फिर चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ द्वारा राज्याभिषेक की तैयारी संबंधी विवरण के अमृत वचनों से समूचे वातावरण को राममय कर दिया फिर देवताओं द्वारा किस तरह  भगवान के मानव रूप में जन्म लेने के उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए राज्याभिषेक को रोकने से आग्रह ब्रह्माजी से किया और माता सरस्वती को मंथरा दासी की बुद्धि भ्रमित करने का दायित्व सौंपा मंथरा द्वारा रानी कैकयी को भ्रमित करने और कैकयी का कोपभवन में जाने फिर कैकयी द्वारा राजा दशरथ से उनके द्वारा देवासुर संग्राम में दिए दो वर में से एक वर में राम को तपस्वी भेष में चौदह वर्ष का वनवास और दूसरे वर में राम के स्थान पर भरत को अयोध्या की राजगद्दी मांगी भगवान राम ने विधि के इस विधान को कितने सहज भाव से स्वीकार किया इसका मर्माहांत वृतांत सुनाया ।
व्यासजी महाराज ने कहा कि हम मानव साधारण सी कठिनाई से घबराकर भगवान को दोष देने लगते हैं मगर साक्षात नारायण का यह कृत्य बतलाता है कि जीवन के परिवर्तन को हमें किस तरह सहजता से प्रभु इच्छा मानकर स्वीकार कर लेना चाहिए क्योंकि यदि आज हमारे साथ बुरा हो रहा है तो कल उन्हीं प्रभु की कृपा से अच्छा भी होगा ।
भगवान राम माता जानकी और अनुज लक्ष्मण के साथ महामंत्री सुमंत के साथ समूची अयोध्या को बिलखता छोड़कर वन के लिए प्रस्थान किएआगे चलकर भगवान राम माता जानकी और भैया लक्ष्मण को गंगा पार कराने केवट से मदद मांगनी पड़ी, व्यासपीठ से श्रद्धेय महाराज ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जो प्रभु मनुष्यों को भवसागर पार कराते हैं वो आज खुद विधि के विधान के आगे नतमस्तक होकर एक साधारण से मानव से गंगा पार कराने की आशा रख रहे हैं।
मांगी नाव ना केवट आना
व्यासजी महाराज ने प्रसंग में बताया कि केवट ने प्रभु के चरण पखारे फिर परिवार सहित चरणामृत पान किया केवट के इस सौभाग्य पर स्वर्ग में बैठे देवता भी ईर्ष्या से कर रहे थे ।उक्त अवसर पर बाल बजरंग रामायण समिति द्वारा आयोजित श्री राम कथा के मुख्य श्रोता श्री रामप्रसाद तिवारी अवधेश प्रसाद तिवारी प्रेमबाई बेटीबाई एवं सुलोचना तिवारी व समिति पदाधिकारी सर्वश्री रामसुशील तिवारी (अध्यक्ष) शिवमूरत दुबे (उपाध्यक्ष) उदयभान सिंह (कोषाध्यक्ष) बृजेन्द्र सिंह (संस्थापक) राजेन्द्र दुबे (व्यास) बलराम पाठक बृजभूषण त्रिपाठी सूरज प्रसाद तिवारी मनोज तिवारी प्रकाश विश्वकर्मा मोती शुक्ला पुरूषोत्तम गौतम सूरजभान  सिंह रोहित शुक्ला सरमन तिवारी प्रमोद गर्ग राजेश भारद्वाज राजभान सिंह राजा तिवारी लाला शुक्ला  सीमा श्रीवास्तव पार्षद गौरीशंकर पटेल दीपक दुबे अनिल त्रिपाठी अक्षत दुबे राजकुमार निमग (टेंट हाऊस)मंजू दुबे शैलेन्द्र असाटी अरविंद ठाकुर प्रवीण पाण्डेय अश्विनी गर्ग श्रीकांत शुक्ला  शिवचरण तिवारी संजीव ठाकुर छोटेलाल गौतम अंगद तिवारी अवधबिहारी दुबे नारायण कुशवाहा  पुरवार जी सविता दुबे कंचन दुबे पुष्पा शर्मा आदि सैकड़ों श्रद्धालु जनों की उपस्थिति रही ।

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