कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने विदेश में यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन में कहा था की भारत में लोकतंत्र खतरे में है। इससे बेशक भारत का शिर झुक गया , अगर व्यान से शिर ऊंचा और नीचा होता है तो ऐसा नही करना चाहिए, उनको याद रखना चाहिए की वह विपक्ष पार्टी के नेता है। ऐसी बात करके अपने भारत विरोधी होने का सत्ता पक्ष से प्रमाण लेने का काम कर दिए। क्योंकि भारत में सत्ता पक्ष में बैठे नेता सर्टिफिकेट देने का ठेका लिए घूम रहे है। यही काम सत्ता में बैठे देश के मुखिया ने विदेश में जाकर अपने संबोधन में कहता है कि देश में 60 साल तक कुछ नही हुआ। यह देश का अपमान नही है ? हम कई दशक ऐसे ही गवा दिया। देश करप्शन में लिप्त था। यह ज्ञान देश हित में है क्या यह सोचने पर मजबूर नही करता की देश से बाहर इस तरह का व्यान देना, देश हित में नहीं है ? सत्ता पक्ष कुछ बोलेगा वह देश हित में होगा ,विपक्ष बोलेगा तो देश का अपमान होगा। अब जनता को ही समझना होगा कि डराने की राजनीति कब तक चलेगा। सबका अंत होता यह नहीं भूलना चाहिए। भारत में एक ऐसा नेता है जो प्रेस कांफ्रेंस से डरता है। सवालों को जवाब नही दे सकता है, वही नेता विदेशी दौरा पर जाता है और छात्रों को संबोधन करता है । आप कुछ भी बोल सकते है,जो सत्ता में है।
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