भारतीय संस्कृति में त्योहारो का एक अलग उमंग रहता है। लेकिन कुछ साल से लगभग सभी त्योहारो को दो दिन मनाया जा रहा है। जिससे नौकरी पेशा लोगो को असमंसय की स्थिति बनी रही है कि कब छुट्टी लिया जाये। ऐसी ही चलता रहा तो धिरे धिरे त्योहारो को मनाने वालो की संख्या घटती जायेगी। इसका जिम्मेदार हमारा समाज भी माना जायेगा। आने वाले समय में नौकरी पेशा लोग समय पर घर नही पहुच पायेगें और त्योहार के साथ साथ परिवार से भी दूर होते जायेेगें, परिवार के सदस्य अन्य दिन अपने अपने कामो में व्यस्थ रहते है। लेकिन त्योहार ही सहारा होता है जहां सभी एक साथ मिल पाते है और बाते करते है।
त्योहारो को समाज से दूर करने का कही साजिश तो नही हो रही है ? ऐसा भी सोचना गलत नही होगा । शायद ही कोई ऐसा त्योंहार होगा जो दो दिन नही मनाया जा रहा है।
कही न कही हम भी जिम्मेदार है,त्योहारों का दिन तय करने के लिए हम कलेन्डर के सहारे होते जा रहे है। जब हमारा समाज कम पढ़ा लिखा तब यही त्योहार एक दिन मनाया जाता था लेकिन जैसे जैसे हमारा समाज शिक्षित होते जा रहा है वैसे वैसे अपनी परम्परा से दूर होता जा रहा है।
ऐसा ही होता रहा तो एक दिन ऐसा भी दिन आयेगा जहां समाज में त्योहार को मनाने के लिए कोई नही मिलेगा।
समाज को एक बार अपनी संस्कृति को बचाने के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है।
सन्देश दुनिया आपका अपना न्यूज पोर्टल है. हम तक ख़बरें पहुंचाएं sandeshdunia@gmail.com के माध्यम से
Tags
Artical