प्रयागराज- जब भी किसी प्रदेश की शासन प्रशासन की बात होती है तो उस प्रदेश के मुखिया सुशासन की बात करते है। जब भी कोई बड़ी घटना होती है तो शासन प्रशासन पूर्व के सरकार पर आरोप लगाकर अपने को बचा लेती है।आज कल जो घटना हो रही है। वह क्यो हो रही है। उस बारे में सोचने की जरूरत है वे सरकार द्वारा विपक्ष पर आरोप लगाया जाता है, इससे बल्कि अपराध खत्म नही होता बल्कि अपराधियो के मनोबल बढ़ाता हैं। अपराधी आगे चलकर बड़ी अपराध करते है ।तब उस समय शासन और प्रशासन की नींद खुलती है। प्रयागराज में पुलिस की मौजूदगी में और पत्रकारो के कैमरो के सामने पूरे दुनिया को टीबी पर लाइव दिखाते हुए जिस तरह से हत्या की गई। जिस तरह हत्या के बाद हत्यारो ने जय श्री राम नारे लगाते अत्मसर्पण किया । वह सरकार का कहना है कि प्रदेश में अपराधियों में खौफ है जो डर के मारे अत्मसर्पण करने लगे हैं या प्रदेश छोड़ कर भाग गये हैं । जब इतना ही खौफ था तो पुलिस की सुरक्षा में पेशी पर आये मुजलिम को बेखैाफ होकर तीन अपराधी गोलियों की बौछार करके मार कैसे पाये ? पुलिस की तरफ से कोई भी जवाबी फायरिंग नही किया गया। बाद में तीनो अपराधियो को कब्जे में लिया गया सवाल उठता हैं कि क्या अपराध को खत्म करने के लिए अपराधी बनना जरूरी है ? अगर अपराध का खत्मा अपराध से होगा तो न्याय प्रक्रिया किस लिए, सवाल तो उठगें। आखिर एक अपराधी के ऊपर अलग अलग प्रदेशो में केस दर्ज होते हैं तो उस अपराधी को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में लाया जाता है। जिससे सरकार पर प्रभाव पड़ता हैं साथ ही सुरक्षा की भी चिंता रहती हैं इस लिए ऐसे आपराधियों को एक प्रदेश में पुछताछ सेल होनी चाहिए चाहे अलग अलग प्रदेशो के पुलिस पुछताछ करे।
सवाल उठता हैं कि आखिर एक छोटा से अपराधी बड़ा कैसे बन जाता हैं ?
बिना
राजनीतिक संरक्षण के यह असम्भव है ।चाहे सत्ता किसी की रहती हैं बोल बाला
अपराधियों का ही होती है। जिससे नेता को वोट मिलता है,और अपराधियों को
बर्चस्व। जिससे समाज में उनका डर बने रहे और धिरे धिरे वह नेता बनकर सत्ता में राज
करने लगता है। अगर समाज में ऐसे अपराधियो को खत्मा करना है तो समाज को जागरूक होना
पड़ेगा। ताकि प्रयागराज जैसी घटनऐं दोबारा न होने पाऐं
छात्र- छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर
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