Manipur News:मणिपुर की घटना मानवता को किया शर्मसार, सरकार की नाकामी या साजिश ?





मणिपुर। मणिपुर में हिंसा के बीच दो महिलाओ के साथ जिस तरह से दुव्र्यवहार  किया गया । वह समाज और देश के लिए शर्मनाक हैं इस तरह से कल्पना नही किया जा सकता हैं। देश में संविधान ने अपनी मांग को लेकर विरोध करने का अधिकार दिया हैं, लेकिन इस तरह से समाज और देश का आबरू लूट कर नहीं। अखिर समाज किस तरफ बढ़ रहा हैं। मणिपुर में जो घटना हुई हैं यह राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की  लापरवाही है। जो समय रहते उस पर ध्यान नही दिया।

आइये बताते चले कि  मणिपुर में मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति( पहाड़ी बहुल समुदाय) समुदाय रहते हैं।  3 मई को कुकी समुदाय के द्वारा अपनी मांगो को लेकर निकाले गये आदिवासी एकता  मार्च के दौरान हिंसा भड़क गयी थी। इस दौरान कुकी और मैतेई के बीच हिंसक झड़क हो गई। तब से वहा के हालात तानव पूर्ण बने हुए है।

तानाव पूर्ण हालात का जायजा लेने  के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर गये थे । जलते हुए और दंगाई के डर से लगभग 50 हजार परिवार रीलीफ कैंप में बसेरा बनाये हुए हैं। राहुल गांधी पीड़ित परिवार से कैंप में मिले थे। और वहा के राज्यपाल से मिलकर मणिपुर के हालात से अवगत कराये थे।

माना जा रहा हैं कि यह दंगा को बातचीत से रोका जा सकता हैं। लेकिन समस्या यह हैं कि इसके लिए कोई तैयार नही हैं । आखिर कौन आगे आये। आदिवासी एकता मांर्च के अगले दिन एक फेक वीडियों के वायरल होने के बाद 800 से 1000 की संख्या में भीड़ उग्र हो जाती हैं । जो गांवो में जाकर वहां के परिवारो को निशाना बनाती हैं। पूरा गांव खाली होने के कारण घरो को आग के हवाले कर दिया जाता हैं। उस गांव में एक परिवार फंसा हुआ था जो अपने को बचाने के लिए जंगल के तरफ भाग जाता है। जब पुलिस को पता चलता हैं तो जंगल से उस परिवार को थाने लेकर आ रही होती हैं। रास्ते में भड़के हुए समूह ने उस पुलिस और परिवार को घेर लेता हैं। उस परिवार में तीन महिला, एक पुरूष था। दंगाई भीड़ ने उस महिलाओ से कपड़े उतारने कहता हैं, लेकिन भाई के माना करने पर दंगाई जान से मार देते है। और तीनो महिलाओ से कपड़े उतारवा देते हैं,और गंदी हरकत करने लगते है। मौका पाकर एक महिला भाग जाती हैं। दो महिलाओ के साथ शर्मसार करने वाला दुर्व्यवहार किया जाता हैं,और सड़क पर नग्न अवस्था में पैदल मार्च करवाया जाता है। भीड़ में से किसी ने उसका वीडियो बना लेता  हैं । यह घटना 4 मई का हैं। महिलाओ ने इसकी शिकायत 18 मई की थी। लेकिन पुलिस ने 49 दिन बाद 21 जून  को एफआईआर दर्ज की। पहली गिरफ्तारी 20 जुलाई को  वीडियो वायरल होने के बाद की।

मणिपुर की सड़क पर रोती-गिड़गिड़ाती दो नग्न  महिलाओे को भेड़ियो की तरह शरीर को नोचते हुए सारी हदे पार कर दिया जाता हैं । मानवता की  सारी सीमाएं  को शर्मसार करते हुए लांघ दिये। बुधवार को वीडियो वायरल हुए। जिसने भी यह वीडियो को देखकर रोंगटे खड़े कर दिया। देश भर में इस घटना को लेकर गुस्सा और नराजगी हैं।

यह घटना के एफआईआर लिखने में 49 दिन लग गये। इतना ही नही पहली गिरफ्तारी करने में 78 दिन लगे। राज्य सरकार और केंद्र सरकार भी वीडियो  वायरल होने के बाद एक्शन में आई । ऐसे में सवाल उठता हैं कि सरकार तभी एक्शन में आयेगी जब कोई अप्रिय घटना घटे।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले मेें केंद्र सरकार और राज्य सरकार से स्वतः संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट मांगी हैं। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि अगर सरकार करवाई नही करेगी तो हम करेंगे।

विपक्ष इस मुद्दे को लेकर  केेंद्र और राज्य सरकार को घेर रही हैं। वही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  ने भी इस घटना को 140 करोड़  भारतीयो के लिए शर्मसार करने वाली घटना बताई हैं। पीएम मोदी ने कहा हैं कि यह देश के लिए बेईज्जती की बात हैं।

वीडियो के वायरल होने के बाद सत्ता मे बैठे लोगो का वयान आने लागता है। आखिर 78 दिन से चुप क्यो बैठे थें । एक जांच उन पर लोगो पर भी होनी चाहिए। जो शासन या प्रशासन  में जिम्मेदार पद पर बैठे हैं।



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